Saturday, 16 August 2014

आज़ाद भारत में तडपते आदिवासी

मैं कुछ लिखूंगा नहीं , बस ये पत्र पढ़िए और सोचिये की ये आप के साथ होता तो आप क्या करते ?
कुछ करिए, ये हमारे ही लोग हैं.....

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